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डिजिटल के जरिए बिजनेस ग्राहक इंस्टेंट क्रेडिट तक पहुंचने में सक्षम

बजट 2023-24 में भारत सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए क्रेडिट गारंटी योजना को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए एमएसएमई को अपने संचालन में विस्तार लाने के लिए ऋण उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश की गई है। एमएसएमई के लिए उनकी क्रेडिट उपलब्धता को बढ़ाने में अमेजन पे लेटर झंझट मुक्त भुगतान अनुभव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके जरिए बिजनेस ग्राहक डिजिटल रूप से साइन अप करने और इंस्टेंट क्रेडिट तक पहुंच प्राप्त कर विभिन्न श्रेणियों के उत्पादों पर निर्बाध खरीदारी कर सकेंगे। निर्बाध भुगतान अनुभव के अलावा वे इस क्रेडिट का उपयोग बिल भुगतान करने, कॉर्पोरेट गिफ्ट कार्ड खरीदने, यात्रा, बीमा आदि का भुगतान आदि करने के लिए भी कर सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य ग्राहकों को अपने व्यवसायों के लिए दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कॉर्पोरेट गिफ्ट जैसे उत्पादों की थोक खरीद के लिए अपने मासिक बजट को बढ़ाने में मदद करना है।

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झंझट रहित ई-खरीदारी करने में मदद

अमेजन बिजनेस के डायरेक्टर सुचित सुभाष ने कहा कि बिजनेस ग्राहकों को झंझट रहित तरीके से और अधिक कुशलता के साथ ई-खरीदारी करने में मदद करते हुए अमेजन बिजनेस ने इस साल छह साल पूरे कर लिए हैं। अब कंपनी ग्राहकों को क्रेडिट उपलब्ध कराने के लिए अमेजन पे लेटर पेश कर हैं। यह सुविधा उन्हें अधिक कुशलता के साथ कारोबार करने में मदद करेगी। इस उपयोग किए गए क्रेडिट को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अगले महीने सफलतापूर्वक चुका सकते हैं। इसके अलावा वे बिना किसी छिपे शुल्क के मामूली ब्याज दरों पर 12 महीने तक आसान ईएमआई के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। 10 लाख से अधिक विक्रेताओं की ओर से 19 करोड़ से अधिक जीएसटी सक्षम उत्पादों की पेशकश के साथ देशभर के 99.5 फीसदी पिन कोड पर डिलीवरी की सुविधा दी जा रही है।

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डिजिटलीकरण को बढ़ावा, खरीद प्रक्रिया हुई सरल

कंपनी ग्राहकों के लिए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और उनकी खरीद प्रक्रिया को सरल बनाने पर ध्यान दे रहा है। उनकी बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, अमेजन बिजनेस 'बिल टू शिप टू' सहित कई नए फीचर्स को शामिल कर रहा है। बिल टू शिप टू फीचर की मदद से ग्राहक अपने अखिल भारतीय शिपमेंट के लिए अपने बिलिंग पते पर जीएसटी क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। यह एप ग्राहकों को चलते-फिरते उनके खरीद अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया था। सेलर पार्टनर के लिए उनकी कमाई में बढ़ाते हुए अपने बी2बी व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अमेजन.इन पर एक अतिरिक्त अवसर भी प्रदान करता है। 'रिक्वेस्ट फॉर क्वांटिटी डिस्काउंट' और थोक खरीद पर छूट जैसे फीचर्स विक्रेताओं को देश भर के बिजनेस ग्राहकों की ओर से प्राप्त लाखों ऑर्डर पूरा करने में मदद करते हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित डिजिटल बिलबोर्ड्स से विज्ञापन क्षेत्र में क्रांति

विज्ञापन की दुनिया में नया परिवर्तन आ रहा है। यह परिवर्तन एक एप आधारित प्रोग्रामेटिक डिजिटल आउट-ऑफ-होम विज्ञापन प्लेटफॉर्म से दिखाई दे रहा है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए विज्ञापनदाता अपने विज्ञापन की लोकेशन समय के साथ बदल सकते हैं। यह लॉन्च इंटरैक्टिव विज्ञापन अभियानों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो निष्क्रिय पोस्टरों और स्थिर बिलबोर्डों को गतिशील डिजिटल डिस्प्ले के साथ बदलकर विज्ञापन परिदृश्य को नया आकार देता है। इसमें विज्ञापनदाता अपने विज्ञापन को खुद ट्रेक कर पाएंगे की कितने और किस श्रेणी के लोगो ने देखा और समय के आधार पर अपने विज्ञापन का स्थान भी चुन पाएंगे।

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पोस्ट माय एड विज्ञापन का नया तरीका

इस प्लेटफॉर्म से विज्ञापन की दुनिया में क्रांति आएगी व विज्ञापनदाता नई रणनीति से कार्य कर सकेंगे, जो अधिक कुशल व ज्यादा प्रभावशाली होगी। पोस्ट माय एड विज्ञापन का नया तरीका है, जिसमें उसका संपूर्ण नियंत्रण आपके पास होगा जैसे की एड शेड्यूल करना, लॉच करना, लोकेशन बदलना, टाइम निर्धारण आदि सभी काम एप द्वारा मोबाइल की सहायता से कर सकते है। पोस्ट माय एड के माध्यम से प्रत्येक विज्ञापन सही समय पर सही दर्शकों तक पहुंचाता है, जिससे अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित होता है। पारदर्शी विश्लेषण विज्ञापनदाताओं को दर्शकों की सहभागिता के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे बेहतर रिटर्न के लिए सटीक अभियान अनुकूलन संभव हो पाता है।

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व्यवसाइयों की बढ़ेगी पहुंच

पोस्ट मॉय एड की सह-संस्थापक और सीएमओ हरप्रीत कौर का कहना है कि वह पोस्ट मॉय एड को पेश करके रोमांचित हैं। जयपुर में व्यवसाइयों के पास अब अपनी पहुंच बढ़ाने, जुड़ाव बढ़ाने और विज्ञापन में एक नए आयाम का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पोस्ट मॉय एड एक भागीदार है। पोस्ट मॉय एड के सह-संस्थापक नावेद कुरैशी बताते हैं, पोस्ट मॉय एड की तकनीकी क्षमताएं इसे एक अभिनव प्रकाशस्तंभ बनाती हैं। इस में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सामग्री सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

PAN Aadhaar Link : इन आसान तरीकों से लगा सकते हैं पता

How To Check PAN-Aadhaar Link Status : केंद्र सरकार ने पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य कर रखा है। दोनों कार्ड को लिंक करने की पहले अंतिम तिथि 31 मार्च, 2023 थी जिसे बाद में बढ़ाकर 30 जून, 2023 कर दिया गया। यदि आपका पैन आपके आधार से लिंक नहीं है, तो पैन निष्क्रिय हो जाएगा। 28 मार्च, 2023 को कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि आधार-पैन स्टेटस चेक करने का लिंक उनके लिए काम नहीं कर रहा है। पैन और आधार दोनों भारत में लोगों के लिए महत्वपूर्ण पहचान संख्या हैं। पैन का उपयोग टैक्स का भुगतान करने के लिए किया जाता है, जबकि आधार का उपयोग कई अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। कुछ अपवादों को छोड़कर, सभी करदाताओं के लिए पैन और आधार को लिंक करना अनिवार्य है। वहीं, कहीं ऐसे लोग हैं जिनको इस बारे में पता ही नहीं है कि उनका पैन कार्ड आधार से लिंक है या नहीं।

पैन आधार लिंक की अंतिम तिथि
पैन को आधार से जोडऩे की अंतिम तिथि 30 जून, 2023 है। इस तिथि के बाद, आपका पैन निष्क्रिय हो जाएगा और आप इसका उपयोग किसी भी आधिकारिक उद्देश्य, जैसे आयकर रिटर्न दाखिल करना, बैंक खाता खोलना आदि के लिए नहीं कर पाएंगे। आपको बता कि अगर आपने 30 जून तक पैन को आधार से लिंक नहीं किया तो 1000 रुपए का जुर्माना देना होगा।

ऐसे पता लगाएं पैन आधार से लिंक है या नहीं
-इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग पोर्टल https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/ पर लॉगिन करें

-ई-फाइलिंग पोर्टल होमपेज खुलने पर 'क्विक लिंक्स' पर जाएं और लिंक आधार स्टेटस पर क्लिक करें

-अपना पैन और आधार नंबर एंटर करने के बाद व्यू लिंक आधार स्टेटस पर क्लिक करें

-अगर आपका पैन कार्ड आधार से लिंक है तो इसे लेकर स्क्रीन पर मैसेज आ जाएगा कि दोनों कार्ड आपस में लिंक्ड हैं।

गजब ! प्रतिबंधित वेबसाइट से ऑर्डर किया सामान 4 साल बाद मिला

भागती दौड़ती जिंदगी में लोग आजकल ऑफलाइन की बजाए ऑनलाइन शॉपिंग को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं क्योंकि चुटकियों में सामान बुक हो जाता है और कम समय में ही प्रोडक्ट आपके पास पहुंच जाता है। लेकिन, इनतेहा तो तब हो गई जब एक शख्श को ऑर्डर करने के 4 साल बाद सामान मिला। यह वाक्या हुआ दिल्ली के रहने वाले तकनीकी विशेषज्ञ नितिन अग्रवाल के साथ। नितिन ने यह दिलचस्प घटना को साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है।

नितिन ने ट्विटर पर लिखे पोस्ट में लोगों से कहा कि कभी उम्मीद मत खोना। उन्होंने खुलासा किया कि 2019 में अली बाबा के स्वामित्व वाली ऑनलाइन खुदरा सेवा अलीएक्सप्रेस से उन्होंने जो उत्पाद ऑर्डर किया था, वह आखिरकार चार साल के लंबे इंतजार के बाद उन्हें डिलीवर कर दिया गया था। उन्होंने जब यह ऑर्डर दिया था उसके कुछ समय बाद कोविड ने दुनिया भर में दस्तक दे दी थी जिसके बाद लॉकडाउन लग गया था। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए जून 2020 में 58 अन्य चीनी ऐप्स के साथ AliExpress पर प्रतिबंध लगा दिया।

नितिन ने आगे बताया कि AliExpress अब भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन उन्होंने प्रतिबंध लगने से पहले ही अपने सामान का ऑर्डर दे दिया था। हालांकि, अग्रवाल ने उत्पाद के विवरण या देरी के कारण का खुलासा नहीं किया, लेकिन उनकी कहानी ऑनलाइन शॉपिंग अनुभवों की अप्रत्याशितता के बारे में एक अद्वितीय किस्से के रूप में कार्य करती है।

एप्पल के इस दिवाइस की बढ़ी डिमांड, जाने क्या है इसमें खास

Apple Pro Vision : विजनओएस के पहले डेवलपर बीटा में एप्पल विजन प्रो स्पैटियल कंप्यूटर के लिए एक फीचर शामिल किया गया है। 'ट्रैवल मोड' (Apple Pro Vision Travel Mode) नामक यह फीचर विशेष रूप से यूजर्स के फ्लाइट एक्पीरियंस को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।

मैक रूमर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैवल मोड एक बेहतरीन एक्सपीरियंस प्रदान करने के लिए कंपनी का जवाब प्रतीत होता है, क्योंकि लिमिटिड स्पेस और स्पेशल एनवायर्नमेंटल कंडीशन वाले एयरोप्लेन का केबिन वर्जुअल रियलिटी (वीआर) डिवाइस के लिए मुश्किल हो सकता है।

विजनओएस के पहले डेवलपर वर्जन में कई टेक्स्ट स्ट्रिंग्स पाए गए, जो इस नए फीचर के ऑपरेशन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। ये टेक्स्ट स्ट्रिंग्स इंटीकेट करती हैं कि यह फीचर हवाई जहाज के केबिन की विशिष्ट बाधाओं को फिट करने के लिए विजन प्रो की क्षमताओं को संशोधित करने के लिए बनाई गई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है, चूंकि ट्रैवल मोड अभी भी बीटा में है, हम इसे आम जनता के लिए पेश करने से पहले इसमें और सुधार और संभावित रूप से अधिक सुविधाओं की उम्मीद करते हैं। टेक दिग्गज ने इस महीने की शुरूआत में विजन प्रो हेडसेट का अनावरण किया था। 3,499 डॉलर की कीमत पर, एप्पल विजन प्रो अगले साल की शुरूआत में उपलब्ध होगा, जिसकी शुरूआत अमेरिका से होगी।

--आईएएनएस

बाइडेन, मस्क सहित शीर्ष नेताओं के ट्विटर खातों में लगाई सेंध, हैकर को मिली 5 साल की सजा

Twitter Account Hacker : अमरीका में एक 24 वर्षीय हैकर को संघीय कारागार में भेज दिया गया है। उसने जुलाई 2020 में अन्य लोगों के साथ मिलकर कम से कम 130 नामचीन लोगों के ट्विटर अकाउंट हैक (Twitter Account hack) कर उन पर नियंत्रण की कोशिश की थी। जोसेफ जेम्स ओ'कॉनर ने अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), सोशलाइट और मॉडल किम कार्दशियन (Kim Kardashian) और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) सहित कई सेलिब्रिटी खातों पर हमला किया।

कई हाई-प्रोफाइल सोशल मीडिया खातों को निशाना बनाने वाली साइबर स्टॉकिंग और कंप्यूटर हैकिंग में अपनी भूमिका के लिए मई में दोषी ठहराए जाने के बाद, ओ'कॉनर को न्यूयॉर्क संघीय अदालत में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत में उसने कहा कि उसके अपराध मूर्खतापूर्ण और निर्थक थे और उसने अपने पीडि़तों से माफी मांगी।

ओ'कॉनर, जिसे उसके ऑनलाइन हैंडल प्लगवॉकजो के नाम से जाना जाता है, उस समूह का हिस्सा था, जिसने जुलाई 2020 में क्रिप्टोकरेंसी घोटाले फैलाने के लिए ऐप्पल, बिनेंस, बिल गेट्स, जो बाइडेन और एलन मस्क सहित दर्जनों हाई-प्रोफाइल ट्विटर खातों में सेंध लगाई थी। उसे इस साल अपे्रल में स्पेन से अमरीका प्रत्यर्पित किया गया था।

जुलाई 2020 में ओ'कॉनर ने बाइडेन के खाते पर लिखा नीचे दिए गए पते पर भेजे गए सभी बिटकॉइन को दोगुना वापस भेजा जाएगा। यदि आप 1,000 डॉलर भेजते हैं, तो मैं 2,000 डॉलर वापस भेजूंगा। केवल 30 मिनट के लिए ऐसा करना। आनंद लें।

ट्विटर ने उस समय जवाब देते हुए हैकर्स को निशाना बनाने के प्रयास में सभी सत्यापित खातों को निष्क्रिय कर दिया और ट्वीट सुविधा को अक्षम कर दिया। अपना अपराध स्वीकार करने वाली याचिका के हिस्से के रूप में, ओ'कॉनर सभी पीडि़तों को मुआवजा देने और 7,94,000 डॉलर से कुछ अधिक जब्त कराने पर सहमत हुआ है।

-आईएएनएस

Elon Musk ने कहा कि WhatsApp पर नहीं कर सकते भरोसा, वॉट्सऐप ने दिया जवाब

दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क (Elon Musk) अक्सर ही बयानबाजी से पीछे नहीं हटते। समय-समय पर एलन उन चीज़ों या लोगों के बारे में बयानबाजी करते रहते हैं जिन्हें वह पसंद नहीं करते। टेस्ला (Tesla) और स्पेसएक्स (SpaceX) के मालिक एलन ने पिछले साल 27 अक्टूबर को 44 बिलियन डॉलर्स में ट्विटर (Twitter) भी खरीद लिया था। ट्विटर को खरीदने के बाद से ही एलन की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिविटी भी बढ़ गई। एलन अक्सर ही ट्विटर पर उन चीज़ों या लोगों पर निशाना साधते हैं जिन्हें वह पसंद नहीं करते। हाल ही में एलन ने वॉट्सऐप (WhatsApp) पर निशाना साधा।


वॉट्सऐप पर नहीं कर सकते भरोसा

वॉट्सऐप दुनियाभर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला मैसेजिंग ऐप है। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल चैटिंग के लिए करते हैं। पर एलन इसे पसंद नहीं करते। हाल ही में एलन ने वॉट्सऐप पर निशाना साधा। ट्विटर पर एक यूज़र, जो ट्विटर इंजीनियर है, ने एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए बताया कि जब वह सो रहा था तब से वॉट्सऐप बैकग्राउंड में माइक्रोफोन का इस्तेमाल कर रहा है और उसके उठने के बाद भी वॉट्सऐप माइक्रोफोन का इस्तेमाल कर रहा है। यूज़र ने इस पर सवाल उठाया। एलन ने इस ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, "वॉट्सऐप पर भरोसा नहीं कर सकते।"


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अनचाहे कॉल्स और एसएमएस से अब मिलेगा छुटकारा, TRAI का बड़ा कदम

देश ही नहीं, दुनियाभर में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसके पास फोन है और उसे अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस ने परेशान नहीं किया हो। अक्सर ही लोगों के फोन पर अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस आते हैं जिससे उन्हें परेशानी होती है। कोई भी नहीं चाहता कि उसके फोन पर अनचाहे कॉल्स या एसएमएस आएं। इस तरह के कई कॉल्स और एसएमएस स्कैम वाले भी होते हैं, जिनसे धोखाधड़ी की रिस्क रहती है। कई बार इस तरह के एसएमएस में फ्रॉड लिंक भी होते हैं जिन पर क्लिक करते ही लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। पर अब जल्द ही लोगों को इन अनचाहे कॉल्स और एसएमएस से होने वाली परेशानी से छुटकारा मिलेगा।


अनचाहे कॉल्स और एसएमएस से मिलेगा छुटकारा

अक्सर ही लोगों के फोन पर आने वाले अनचाहे कॉल्स और एसएमएस से जल्द ही उन्हें छुटकारा मिलेगा। साथ ही फ्रॉड लिंक वाले एसएमएस से भी लोगों को छुटकारा मिलेगा। इसके लिए टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया - ट्राई (TRAI) ने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया है।

क्या है TRAI का कदम?

ट्राई ने हाल ही में इस तरह के अनचाहे कॉल्स और एसएमएस से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए देशभर की टेलीकॉम कंपनियों को एक निर्देश दिया है। इस निर्देश के अनुसार टेलीकॉम कंपनियाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) वाले स्पैम फिल्टर्स का इस्तेमाल करेंगी। इससे लोगों के फोन पर आने वाले अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस ब्लॉक किए जा सकेंगे।


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कब से मिलेगा छुटकारा?


ट्राई के निर्देश के अनुसार टेलीकॉम कंपनियों के स्पैम फिल्टर्स लगाने और इससे लोगों को अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस से छुटकारा अगले महीने से ही मिलेगा। इसकी शुरुआत के लिए 1 मई, 2023 का दिन निर्धारित किया गया है।

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कॉमन प्लेटफॉर्म का होगा इस्तेमाल

ट्राई के निर्देशानुसार अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस ब्लॉक करने के लिए सभी टेलीकॉम कंपनियों का एक कॉमन प्लेटफॉर्म होगा। टेलीकॉम कंपनियाँ अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल नहीं करेंगी। एक कॉमन प्लेटफॉर्म पर ही उन्हें उन सभी अनचाहे और स्पैम कॉल्स और एसएमएस की जानकारी डालनी होगी जिन्हें ब्लॉक किया जाएगा।

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ChatGPT को टक्कर देने के लिए Elon Musk का बड़ा प्लान, लॉन्च करेंगे TruthGPT

चैटजीपीटी (ChatGPT) इस समय टेक वर्ल्ड में टॉप ट्रेंडिंग टॉपिक्स में से एक है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर बेस्ड चैटजीपीटी एक चैट बॉट है, जिसे ओपनएआई (OpenAI) ने लॉन्च किया है। चैटजीपीटी को इसके अलग कॉन्सेप्ट की वजह से काफी पसंद किया जा रहा है। दुनियाभर में बड़ी तादाद में लोग इस चैट बॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ओपनएआई और चैटजीपीटी फूटी आँख नहीं सुहा रहा। इनमें सबसे ऊपर नाम दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क (Elon Musk) का है। एलन को ओपनएआई और चैटजीपीटी ज़रा भी पसंद नहीं है। ऐसे में ओपनएआई के चैटजीपीटी को टक्कर देने के लिए एलन ने एक बड़ा प्लान बनाया है।


Elon Musk का बड़ा प्लान - TruthGPT

हाल ही में एलन ने मीडिया में बात करते हुए बताया कि ओपनएआई के चैटजीपीटी को टक्कर देने के लिए एलन खुद का एआई प्लेटफॉर्म लॉन्च करने का प्लान है। इसका नाम ट्रुथजीपीटी (TruthGPT) होगा। एलन ने कुछ महीने पहले इसका हिंट भी दिया था।


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प्रकृति की समझ पर होगा बेस्ड


एलन ने जानकारी देते हुए बताया कि उनका एआई प्लेटफॉर्म ट्रुथजीपीटी यूनिवर्स को समझकर काम करने पर बेस्ड होगा। एलन ने बताया कि उनका प्लेटफॉर्म प्रकृति के रहस्यों को समझने की कोशिश करेगा, जिससे लोगों को बेहतरीन परिणाम मिल सकेंगे।

सेफ्टी के लिए ज़रूरी

एलन ने बताया कि एआई प्लेटफॉर्म का सेफ होना बहुत ज़रूरी है और वह ओपनएआई को लोगों के लिए सेफ नहीं मानते। एलन ने कहा कि उनका एआई प्लेटफॉर्म ट्रुथजीपीटी लोगों के लिए पूरी तरह से सेफ होगा। साथ ही इसके ज़रिए सच पर फोकस किया जाएगा।

एलन को क्यों नहीं है ओपनएआई और चैटजीपीटी पसंद?

दरअसल एक समय था जब ओपनएआई को कोई नहीं जनता था। ओपनएआई की शुरुआत 2015 में हुई थी। एलन 3 साल इस कंपनी के साथ रहे, जो उस समय एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइज़ेशन था। 2018 में एलन ने ओपनएआई के साथ छोड़ दिया था। पर नवंबर 2022 में ओपनएआई ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर बेस्ड चैट बॉट चैटजीपीटी लॉन्च कर दिया और इसके बाद कंपनी की पॉपुलैरिटी और वैल्यू तेज़ी से बढ़ी। आज ओपनएआई की वैल्यू करीब 30 बिलियन डॉलर्स है, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है।

ऐसे में अब इस कंपनी के अचानक इतना सफल हो जाने से एलन प्रभावित नहीं हैं और समय-समय पर इन पर निशाना भी साधते रहते हैं। ओपनएआई और चैटजीपीटी की सफलता का हिस्सा नहीं होना एक बढ़ी वजह है कि एलन को ये पसंद नहीं है।

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Google की वो गलती जिसके चलते लगा 1337 करोड़ का जुर्माना, 30 दिनों में चुकानी होगी राशि

Google 1337 Crore Fine: जब भी हमें किसी भी चीज के बारे में कोई जानकारी लेने होती है तो हम उसके बारे में गूगल पर सर्च करते हैं। हमारे सर्च करने के तुरंत बाद संबंधित चीज के बारे में जानकारी हमारे मोबाइल, कंप्यूटर अथवा लैपटॉप पर सामने आ जाता है। पूरी दुनिया को हर चीज के बारे में सही-सही जानकारी देने वाले सर्च इंजन गूगल पर लोगों का विश्वास अब किताब और अखबार जैसा होता जा रहा है। लेकिन इस सर्च इंजन पर 1337.76 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा है। जुर्माने की यह भारी भरकम राशि कंपनी को अगले 30 दिनों में चुकानी होगी। दुनिया के तमाम सवालों का जवाब देने वाली कंपनी गूगल पर यह जुर्माना क्यों लगा इसकी उत्सुकता कई लोगों में लगी है। आईए जानते हैं क्या है ये पूरा मामला।


CCI ने सितंबर 2022 में लगाया था जुर्माना, अब खारिज हुई अपील-


गूगल पर 1337.76 करोड़ रुपए का भारी भरकम जुर्माना भारतीय प्रतिस्पर्धाद आयोग (CCI) द्वारा लगाया गया है। यह जुर्माना पिछले साल सितंबर के महीने में लगाया गया था। इस जुर्माने के खिलाफ गूगल ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में अपील दायर की थी। लेकिन बुधवार गूगल की यह अपील खारिज हो गई। NCLAT ने कहा कि गूगल को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान करना होगा।


एंड्रॉईड मोबाइल उपकरणों से जुड़ा है मामला-
दरअसल बुधवार को एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने गूगल को सीसीआई के आदेश का पालन करने और 30 दिनों में राशि जमा करने का निर्देश दिया। बताते चलें कि सीसीआई ने 30 अक्टूबर, 2022 को एंड्रॉईड मोबाइल उपकरणों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।


गैरकानूनी कामों में शामिल होने से बचने की हिदायत-
प्रतियोगिता पर नजर रखने वाली संस्था ने इंटरनेट की दिग्गज कंपनी को विभिन्न अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं में शामिल होने से बचने के लिए भी कहा था। गूगल ने एनसीएलएटी के समक्ष इस फैसले को चुनौती दी थी, जो सीसीआई द्वारा पारित आदेशों पर एक अपीलीय प्राधिकरण है। अब एनसीएलएटी से अपील खारिज होने के बाद गूगल का अगला कदम क्या होता है यह आने वाला वक्त बताएगा।


गूगल पर क्यों लगा इतना बड़ा जुर्माना-
गूगल पर आरोप है कि इसने एंड्रॉयड इकोसिस्टम में अपनी पॉजीशन का गलत फायदा उठाया। CCI ने इस पर प्ले स्टोर पॉलिसी से रिलेटेड एंटी-कंपीटिटिव प्रैक्टिस के लिए फाइन लगाया है। गूगल प्ले स्टोर पॉलिसी की वजह से मार्केट में रिलीज होने ऐप्स से गूगल को फायदा मिलता है। इससे पहले गूगल पर 2017 में यूरोपीय संघ के मामले में 4 अरब यूरो से अधिक का जुर्माना लगा था। जिसका कंपनी ने भुगतान भी किया था।

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एलन मस्क और कुछ एक्सपर्ट्स ने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर रोक लगाने की मांग, कहा - 'समाज के लिए खतरनाक'

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI - Artificial Intelligence) एक बेहद ही दिलचस्प टेक्नोलॉजी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब है ह्यूमन (मानव) इंटेलिजेंस का कम्प्यूटर्स और मशीनों में इस्तेमाल करना और उनसे काम कराना। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कई लोगों की दिलचस्पी रहती है। पिछले कुछ समय से दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क (Elon Musk) की भी इसमें दिलचस्पी रही है। हालांकि पिछले कुछ समय से एलन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विरोध भी कर रहे हैं। साथ ही इस टॉपिक से जुड़े कुछ एक्सपर्ट्स भी अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पिछले कुछ समय से विरोध कर रहे हैं। हाल ही में एलन और इस टॉपिक से जुड़े कुछ एक्सपर्ट्स ने अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स (Artificial Intelligence Systems) के बारे में एक बड़ी मांग की है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर लगे रोक

एलन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े एक्सपर्ट्स के एक ग्रुप ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर रोक लगाने की मांग की है। इन लोगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर करीब 6 महीने की रोक लगाने की मांग की है।

लिखा पत्र

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर रोक लगाने के लिए एक पत्र भी लिखा गया है। यह पत्र नॉन प्रॉफिट फ्यूचर और लाइफ इंस्टीट्यूट ने जारी किया है और इस पर एलन समेत एक हज़ार से ज़्यादा लोगों ने साइन किया हैं।

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समाज के लिए खतरा

एलन और पत्र में मंज़ूरी देने वाले लोगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समाज के लिए खतरा बताया है। ऐसे में इन लोगों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स पर 6 महीने की रोक लगाने की मांग की है। इन लोगों ने कहा कि पावरफुल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स सिर्फ तभी विकसित किए जाने चाहिए जब उनके असर के सकारात्मक होने का पूरा भरोसा हो और किसी भी तरह के खतरे की आशंका न हो।

Twitter का सोर्स कोड हुआ ऑनलाइन लीक, Elon Musk की बढ़ सकती है मुश्किल

जब से एलन मस्क (Elon Musk) ने सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) को खरीदा है, तभी से इसमें कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कंपनी के वर्क कल्चर से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक में अब तक कई बदलाव देखे जा चुके हैं। इससे ट्विटर लगातार चर्चा में भी बना हुआ है। पर हाल ही में ट्विटर के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में एलन ने भी नहीं सोचा होगा। ट्विटर पर हाल ही में जो हुआ, वो इससे पहले कभी नहीं हुआ है। इसे एक बड़ा ब्लंडर भी बताया जा रहा है।

सोर्स कोड हुआ ऑनलाइन लीक

हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार ट्विटर का सोर्स कोड ऑनलाइन लीक हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार ओपन सोर्स कोडिंग कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म गिटहब (GitHub) पर ट्विटर का सोर्स कोड ऑनलाइन लीक हो गया है।

कॉपीराइट उल्लंघन नोटिस भेजा

ट्विटर का सोर्स कोड ऑनलाइन लीक होने पर कंपनी ने भी एक कदम उठाया है। कंपनी ने इस मामले में कॉपीराइट उल्लंघन नोटिस भेजा है। साथ ही गिटहब को अपना सोर्स कोड हटाने के लिए भी कहा है।

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कोर्ट में की अपील

ट्विटर ने सोर्स कोड ऑनलाइन लीक होने पर कोर्ट में याचिका भी दायर की है। ट्विटर ने इस मामले में यूएस नॉर्दन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (US Northern District Court) से इस मामले की शिकायत की है और कोर्ट से यह अपील की है कि गिटहब उस शख्स की जानकारी दे जिसने ट्विटर का सोर्स कोड ऑनलाइन लीक किया है।

इसके साथ ही सोर्स कोड को किन-किन लोगों ने डाउनलोड किया है, इस बात की जानकारी भी ट्विटर ने मांगी है।

कंपनी को हो सकता है नुकसान

ट्विटर का सोर्स कोड लीक होने से कंपनी को नुकसान हो सकता है। कोई भी इस तरह की कंपनी अपने सोर्स कोड को पूरी तरह से गुप्त रखती है। ऐसे में ट्विटर के सोर्स कोड के लीक होने से दूसरी कंपनियाँ इसका फायदा उठा सकती हैं और ट्विटर को इससे नुकसान हो सकता है। ट्विटर के सोर्स कोड लीक होने से कंपनी की सेफ्टी से जुड़ी खामियों के बारे में भी पता चलता है।

इन सब चीज़ों से कंपनी के मालिक एलन मस्क की मुश्किल भी बढ़ सकती है। हालांकि खुद एलन ने ट्विटर का सोर्स कोड पब्लिक करने की बात कही थी, पर ऐसा होता या नहीं, इस बारे में अब कुछ कहा नहीं जा सकता।

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देश में अब 6G लाने की तैयारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे विज़न डॉक्यूमेंट जारी

Bharat 6G Vision Document: दुनिया में टेक्नोलॉजी का तेज़ी से विकास हो रहा है। इस तेज़ी से विकसित हो रही टेक्नोलॉजी में भारत (India) भी पीछे नहीं है। देश में तेज़ इंटरनेट के लिए कुछ समय पहले ही 5G की शुरुआत हुई है। पर देश यहीं नहीं रुकने वाला। भारत जल्द ही 5G से भी आगे बढ़कर 6G की दुनिया में कदम रखने की तैयारी में है। इस कदम की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज करेंगे। पीएम मोदी आज दोपहर 12:30 बजे विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी भारत में नए इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) के एरिया ऑफिस और इनोवेशन सेंटर का उद्घाटन करेंगे।


पीएम मोदी करेंगे भारत 6G विज़न डॉक्यूमेंट जारी


आज विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी देश में 6G की शुरुआत के लिए भारत 6G विज़न डॉक्यूमेंट जारी करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी भारत 6G विज़न डॉक्यूमेंट के बारे में जानकारी भी देंगे। इतना ही नहीं, पीएम मोदी इस कार्यक्रम में 6G टेक्नोलॉजी के लिए R&D टेस्ट बेड को भी लॉन्च करेंगे।

पीएम मोदी करेंगे एक ऐप भी लॉन्च

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी आज 'कॉल बिफोर यू डिग' ऐप भी लॉन्च करेंगे और इस अवसर पर कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित करेंगे।

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देश में कब तक हो सकती है 6G की शुरुआत?

देश में अभी कुछ समय पहले ही 5G की शुरुआत हुई है, जिसकी तैयारी पिछले कुछ साल से चल रही थी। पिछले साल के अंत में देश में 5G सर्विस रोलआउट हुई थी। हालांकि 5G सर्विस अभी भी देश में सभी जगहों पर नहीं है।

देश की टेलीकॉम कंपनियाँ अगले साल तक पूरे देश में 5G अवेलेबल करवाने वाली हैं। ऐसे में साफ है कि कमर्शियल रूप से देश में 6G की शुरुआत होने में अभी कुछ साल लग सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में 2028 या 2029 तक 6G की शुरुआत हो सकती है।

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Elon Musk का बड़ा दावा, ChatGPT की पेरेंट कंपनी OpenAI के लिए 826 करोड़ रुपये किए डोनेट

टेक वर्ल्ड में समय-समय पर कुछ न कुछ नया आता रहता है जिसकी हर कोई चर्चा करता है। इस समय टेक वर्ल्ड में सबसे ज़्यादा जिस चीज़ की चर्चा है, उसका नाम है चैटजीपीटी (ChatGPT)। चैटजीपीटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर बेस्ड एक चैट बॉट है, जिसे इसके अलग कॉन्सेप्ट की वजह से काफी पसंद किया जा रहा है। हालांकि कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। इनमें दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क (Elon Musk) का नाम भी शामिल है। एलन मस्क समय-समय पर चैटजीपीटी पर निशाना साधने से पीछे नहीं रहते। पर इसकी वजह बहुत ही कम लोग जानते होंगे। एलन का समय-समय पर चैटजीपीटी पर निशाना साधने की वजह चैटजीपीटी की पेरेंट कंपनी ओपनएआई (OpenAI) से एलन का पुराना कनेशन है।

OpenAI के लिए एलन ने किए थे 826 करोड़ रुपये डोनेट

बहुत से लोग शायद यह बात नहीं जानते होंगे, पर एक समय ऐसा था जब एलन चैटजीपीटी की पेरेंट कंपनी ओपनबाई से जुड़े हुए थे। एलन इस कंपनी के संस्थापकों में से एक थे। एलन ने इस कंपनी के लिए 100 मिलियन डॉलर्स का डोनेशन भी दिया था, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 826 करोड़ रुपये है।


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एलन कब तक रहे ओपनएआई के साथ?


ओपनएआई की शुरुआत 2015 में हुई थी। एलन 3 साल इस कंपनी के साथ रहे, जो उस समय एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइज़ेशन था। 2018 में एलन ने ओपनएआई के साथ छोड़ दिया था।

एलन को क्यों नहीं है ओपनएआई और चैटजीपीटी पसंद?

दरअसल एक समय था जब ओपनएआई को कोई नहीं जनता था। ऐसे में एलन ने भी इसे छोड़ दिया था। पर नवंबर 2022 में ओपनएआई ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर बेस्ड चैट बॉट चैटजीपीटी लॉन्च कर दिया और इसके बाद कंपनी की पॉपुलैरिटी और वैल्यू तेज़ी से बढ़ी। आज ओपनएआई की वैल्यू करीब 30 बिलियन डॉलर्स है, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है।

ऐसे में अब इस कंपनी के अचानक इतना सफल हो जाने से एलन प्रभावित नहीं हैं और समय-समय पर इन पर निशाना भी साधते रहते हैं। ओपनएआई और चैटजीपीटी की सफलता का हिस्सा नहीं होना एक बढ़ी वजह है कि एलन को ये पसंद नहीं है।

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Facebook की पेरेंट कंपनी Meta कर रही है नए सोशल मीडिया नेटवर्क पर काम, Twitter को दे सकती है टक्कर

आज के इस समय में सोशल मीडिया (Social Media) का काफी ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है। दुनियाभर में बड़ी तादाद में लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। पिछले एक दशक में सोशल मीडिया का लोगों में क्रेज़ तेज़ी से बढ़ा है। यूँ तो इंटरनेट पर कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं, पर इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म्स को काफी ज़्यादा पसंद किया जाता है। कुछ कंपनियाँ तो ऐसी भी हैं जिनके अधिकार में एक से ज़्यादा सोशल मीडिया नेटवर्क भी आते हैं। ऐसी ही एक कंपनी है मेटा (Meta), जो दुनियाभर में काफी पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक (Facebook) और इंस्टाग्राम (Instagram) की पेरेंट कंपनी भी है। मैसेंजर सर्विस व्हॉट्सऐप (WhatsApp) भी मेटा की ही सर्विस है। हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार मेटा कुछ बड़ा प्लान कर रही है।

क्या है Meta का नया प्लान?

हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार मेटा एक नए सोशल मीडिया नेटवर्क पर काम कर रही है। आपने सही पढ़ा। पहले से एक से ज़्यादा सोशल मीडिया नेटवर्क्स की पेरेंट कंपनी मेटा एक नए सोशल मीडिया को डेवलप करने की तैयारी कर रही है और इस पर काम शुरू भी किया जा चुका है। कंपनी की तरफ से शुक्रवार, 10 फरवरी की रात इस बात की जानकारी दी गई।

आपकी जानकारी के लिए बता दे, मार्क ज़ुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) मेटा के चेयरमैन है।


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अब प्यार भी ऑनलाइन! बड़े धोखे हैं इस राह में... फिर भी Dating Apps पर बढ़ रहा भरोसा, जानिए क्यों

Online Dating Apps: भारत में डेटिंग ऐप्स (Dating Apps) पर युवाओं को रोमांस बढ़ता जा रहा है। कोविड महामारी के बाद से ऑनलाइन डेटिंग (Online Dating) साइट पर प्यार की रफ्तार तेज हुई है। अब ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स पर भी लोग पार्टनर खोजने लगे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मेट्रो सिटी से बाहर भी ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स पर लोग पार्टनर खोज रहे हैं। ऐसे में डेटिंग ऐप्स पर क्या भरोसा किया जाए, ये ज्यादातर लोगों का सवाल होता है। मगर कहते हैं कि भरोसा करने और बनाए रखने से ही कायम रहता है, जिनके साथ ज्यादा वक्त बिताने पर भी विश्वास टूट जाता है तो क्यों ना किस्मत को एक बार आजमाकर डेटिंग ऐप्स पर भी भरोसा किया जाए।


डेटिंग एप्स के जरिए युवा दिल खोलकर कर रहे प्यार का इजहार


देश में कई ऐसे डेटिंग एप्स हैं जहां युवा दिल खोलकर अपने प्यार का इजहार करने लगे हैं। यूं तो भारत में डेटिंग ऐप्स की भरमार हैं लेकिन करीब आधे दर्जन डेटिंग ऐप्स पर प्यार की रफ्तार तेज है। भारत में डेटिंग एप्स ने लांच होने के कुछ समय के भीतर ही बेहद लोकप्रियता हासिल कर ली। युवाओं और किशोरों के बीच डेटिंग एप्स ने अपनी खास जगह बनाई है, इसी के चलते डेटिंग ऐप्स के लिए भारत अब एक काफी बड़ा बाजार बन चुका है।

मैच, बातचीत और मुलाकात का खेल  

डेटिंग एप्स में ऐसे इंटरफेस होते हैं जो लीड जेनरेटर की तरह काम करते हैं, क्योंकि वे चुनने के लिए संभावित मैचों का एक विशाल पूल पेश करते हैं। एक ऐप पर दो लोगों के मेल खाने के बाद, बातचीत शुरू करना और इसे अगले स्तर पर ले जाना उनके ऊपर है। इसके बाद होती है असली मुलाकात।


जोखिम भी हैं बड़े

हालांकि, इन डेटिंग एप्स में ये खामी भी होती है कि इससे गलत व्यक्ति, या यहां तक कि कभी-कभी धोखाधड़ी में भाग लेने का जोखिम अधिक होता है। मगर, यूजर्स ने इसे भी ऑनलाइन डेटिंग अनुभव के एक अनिवार्य भाग के रूप में स्वीकार कर लिया है। इस तरह के जोखिमों की परवाह किए बिना, ये ऐप भरोसा जगाने में कामयाब रहे हैं।

लोगों के बीच बढ़ रही डेटिंग एप्स की लोकप्रियता

दिल्ली की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. सारिका बूरा के अनुसार, "इंटरनेट डेटिंग लोकप्रिय है, और इन डेटिंग ऐप्स ने इस चलन को बढ़ावा दिया है। जबकि टेक्नॉलॉजी ने निश्चित रूप से एक भूमिका निभाई है, सामाजिक भूमिकाओं ने भी स्थानांतरित कर दिया है और एप के माध्यम से एक संभावित भागीदार को जानने के लिए अधिक स्वतंत्रता, आत्म-अभिव्यक्ति और प्रयोग का मार्ग प्रशस्त किया है।"


भारत में खुला कई डेटिंग एप्स का बाजार


बात करें, इन डेटिंग एप्स की तो इनमें सबसे पहला नंबर आता है टिंडर (Tinder)। शुरुआत में टिंडर ज्यादा पॉपुलर नहीं हुआ क्योंकि इसमें हाई-प्रोफाइल लोगों की भागीदारी ज्यादा थी लेकिन अब टिंडर पर भारतीय यूजरों की कोई कमी नहीं है। इसी तरह बंबल (bumble) और ट्रूली मैडली (truly madly) डेटिंग ऐप्स भारत में सबसे लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से हैं।

इसके अलावा HiHi, Happn, Dil-Mil, aisle, FRND, Woo, Match.com, OkCupid, Hinge, Badoo, Flip, Coffee Meets Bagel, Gogaga जैसे डेटिंग ऐप पर भी युवा दिल खोलकर रोमांस कर रहे हैं। वहीं, फेसबुक (Facebook) ने भी डेटिंग के लिए अलग से सुविधा दी है।


हर महीने आ रहे नए एप्लिकेशन


टिंडर, बम्बल और हिंज दुनिया के सबसे लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से एक हैं। हालाँकि, हर कुछ महीनों में एक नया एप्लिकेशन इसे स्पेक्ट्रम के लिए बनाता है। भारत में, टिंडर को 2016 में पेश किया गया था और तब से इसके यूजर्स और रेवेन्यू में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय डेटिंग एप्लिकेशन घरेलू बाजार में निर्विवाद रूप से अग्रणी बने हुए हैं, भारत के पास घरेलू अनुप्रयोगों का अपना हिस्सा है जो धीरे-धीरे अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं।

लोगों के बीच बड़ती दिलचस्पी का एंटरप्रेन्योर उठा रहे फायदा

भारत के एंटरप्रेन्योर भी आज की जनरेशन के बीच बड़ती दिलचस्पी का फायदा उठा रहे हैं और भारत में आधुनिक डेटिंग ऐप्स के प्रमुख उपभोक्ता आधार का गठन कर रहे हैं। Statista.com की एक रिपोर्ट के आधार पर भारत में ऑनलाइन डेटिंग सेगमेंट में राजस्व 2022 में $559 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था।

इसी रिपोर्ट में 2026 तक 873 मिलियन डॉलर तक के सेगमेंट की वृद्धि का भी अनुमान लगाया गया है। भारत में प्रमुख डेटिंग ऐप्स में अब तक Aisle और इसके वर्नाक्यूलर डेटिंग ऐप्स, FRND, HiHi, Woo, GoGaga, आदि शामिल हैं।


अलग-अलग प्लेटफॉर्म की है अपनी-अपनी फैसिलिटी


इनमें से प्रत्येक ऐप की अपनी यूएसपी है। गोगागा (GoGaga) यूजर्स को डेटिंग के लिए दोस्तों के दोस्तों को ढूंढने देता है, अवधारणा में अनिवार्य रूप से दोस्त शामिल होते हैं जो डेटिंग पार्टनर खोजने मेंयूजर्स की सहायता करते हैं। वुमन-फर्स्ट प्लेटफॉर्म होने का दावा करने वाला वू महिलाओं को अपनी संपर्क जानकारी का खुलासा किए बिना इन-एप कॉल करने में सक्षम बनाता है।

HiHi अपने यूजर्स को संभावित भागीदारों के साथ बातचीत करने के लिए कई तरह के विषयों का सुझाव देता है, दूसरी ओर FRND लाइवस्ट्रीम के माध्यम से एक-एक-कनेक्शन बनाने का प्रयास करता है।


भारत ने बनाया अपना डेटिंग एप


भारत में टिंडर के लॉन्च ने कितने युवा भारतीयों के रोमांस और प्रेमालाप को बदल दिया। उसी समय के आसपास लॉन्च किया गया, भारतीय डेटिंग ऐप आइज़ल (Aisle) ने पारंपरिक वैवाहिक साइटों और आधुनिक डेटिंग एप्लिकेशन के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया। एप्लिकेशन के निर्माता अग्रणी भारतीय डेटिंग ऐप्स में से एक बनने की ख्वाहिश रखते हैं। हालांकि, वे अपने पश्चिमी समकक्षों के साथ समानता की किसी भी झलक को दूर करने में स्पष्ट रहे हैं।

ट्रस्ट फैक्टर का निर्माण कर रही कंपनियां

आइज़ल (Aisle) के लॉन्च होने तक, कमोबेश हर वैवाहिक पोर्टल को एक गठबंधन शुरू करने के लिए एक-दूसरे से मिलने के लिए सिंगल युवाओं के माता-पिता के लिए रुकावट गड्ढे के रूप में देखा जाता था। आइल के संस्थापक एबल जोसेफ का कहना है कि मिलेनियल्स ने गतिशीलता को बदल दिया है।

जोसेफ के अनुसार, "जब हम पहुंचे तो कोई अन्य डेटिंग एप्लिकेशन नहीं था जो भारत में डिजिटल स्पेस का दावा कर रहा हो। 2014 से पहले, लगभग सभी ऐप्स में बिना पहचान वाले और बिना नाम वाले प्रोफाइल थे, इसलिए हम प्रामाणिक होने और सिंगल्स के लिए अनुभव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रस्ट फैक्टर का निर्माण सर्वोपरि था।"


भारत की अलग-अलग भाषाओं में भी आए कई एप्लिकेशन


आज, आइज़ल (Aisle) अपने प्रमुख एप्लिकेशन से आगे बढ़ गया है, इसने क्षेत्रीय भाषाओं में डेटिंग एप पेश किए हैं, और इसके एप में 15 मिलियन से अधिक यूजर्स की कम्युनिटी है। मलयालम में अरिके, तमिल में अंबे, तेलुगु में नीथो और कन्नड़ में नीने आइज़ल की क्षेत्रीय पेशकश हैं, जबकि हाल ही में लॉन्च किया गया जलेबी एप नई जनरेशन को सही लोगों से मिलने के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने पर केंद्रित है।

केवल कनेक्शन बढ़ाने और बात करने के लिए भी कर रहे लोग एप का इस्तेमाल

लोकप्रिय परिभाषा के अनुसार, डेटिंग एप्लिकेशन संभावित भागीदारों को खोजने का एक माध्यम है। लेकिन यह हमेशा उस तरह से काम नहीं करता। ये एप्लीकेशन रिश्तों को नए मायने भी देती रही हैं। ऐसा लगता है कि यूजर्स की एक बड़ी संख्या केवल केवल कनेक्शन बनाने के लिए, किसी से बात करने के लिए, बिना किसी अपेक्षा के जुड़ी हुई है।


टिंडर इंडिया के संचार निदेशक ने कही ये बात


टिंडर इंडिया के संचार निदेशक अहाना धर ने बताया, "हमने सिंगल्स को अविश्वसनीय रूप से इरादतन दोनों में देखा है कि वे किसे डेट करना चुनते हैं और कैसे डेट चुनते हैं... युवा डेटर्स भी एक-दूसरे को जानने और अपनी पहली तारीखों को गिनने के लिए आकस्मिक गतिविधियों और शेयर अनुभवों की तलाश कर रहे हैं।"

डेटिंग के अनुभव में क्या बदलाव आया?

इंटरनेट के जन्म के बाद से ऑनलाइन डेटिंग अस्तित्व में है। आधुनिक एप्स इसकी स्वीकार्यता को नई ऊंचाइयों पर ले गए। इन वर्षों में, ऑनलाइन डेटिंग एक आकर्षक अरब-डॉलर इंडस्ट्री में बदल गई, जिसमें लीगेसी कंपनी मैच ग्रुप है। इनमें टिंडर (Tinder), हिंज (Hinge) और ओकेक्यूपाइड (OKcupid) की सबसे बड़ी खिलाड़ी है।


लोगो से मेलजोल बढ़ाने का आसान तरीका बनी ऑनलाइन डेटिंग


Satista.com के अनुसार, 2023 में ऑनलाइन डेटिंग सेगमेंट के $3.01 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। ये ऐप दुनिया भर के लोगों के मिलने का सबसे आम तरीका बन गए हैं। हाल के दिनों में कई अध्ययनों से पता चला है कि बड़ी संख्या में जोड़े यह स्वीकार करते हैं कि वे पहली बार किसी ऐप या वेबसाइट पर मिले थे।

टिंडर ने किया विकास, यूजर्स की हो रही वृद्धि

Tinder, जिसने अकेले 2022 में $2 बिलियन से अधिक का राजस्व अर्जित किया है, पिछले एक दशक में इसके विकास और दुनिया भर में अपनाने में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि को पीढ़ीगत मतभेदों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, माना जाता है कि मिलेनियल्स अधिक तकनीकी जानकार और प्रयोग के लिए खुले हैं।


स्मार्टफोन की वजह से यूजर्स में हो रही वृद्धि


विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन डेटिंग का बढ़ता उपयोग इस वजह से भी है कि कैसे स्मार्टफोन स्थान-आधारित ऐप्स और यूजर्स के अनुभवों को सुव्यवस्थित कर रहे हैं, जो कि पीसी पर वेब एप्लिकेशन कभी नहीं कर सकते थे। कई लोग डेटिंग ऐप्स के गैमिफिकेशन को अधिक यूजर्स को आकर्षित करने वाली कुंजियों में से एक मानते हैं।

वास्तविक दुनिया की गतिविधियों में गेम डिज़ाइन तत्वों का यह संलयन जुड़ाव और प्रतिधारण को बढ़ाता है। बाएं या दाएं स्वाइप करने से लेकर कमाई के अंक और संग्रहणता तक, ऑनलाइन डेटिंग एप्लिकेशन इसे यूजर्स के लिए और अधिक मज़ेदार बना रहे हैं।

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यूजर्स की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बढ़ाए जा रहे फीचर्स


भारत में डेटिंग ऐप्स आंकड़े टिंडर, बम्बल और हिंज दुनिया के सबसे लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से हैं, हालांकि, हर कुछ महीनों में एक नया एप्लिकेशन स्पेक्ट्रम में आ जाता है। 2000 के दशक की शुरुआत में, OKcupid, eHarmony और Match.com ने डेटिंग पूल को कम करने में यूजर्स की मदद करने की पेशकश के बाद लहरें पैदा कीं। कुछ हद तक, इसने सही मैच खोजने का बोझ कम किया।

पहले डेंटिंग एप का इस्तेमाल था कठिन 

हालाँकि, यूजर्स को अभी भी साइन-अप के दौरान अपनी लाइफस्टाइल और प्रेफरेंस के बारे में जानकारी देने के लिए कई प्रश्नावली भरने की आवश्यकता थी। सवालों के इन सेटों ने प्रक्रिया को कठिन बना दिया। उन्होंने पसंद के ओवरलोड का भी लीडरशिप किया। कुछ साइटें पारंपरिक वैवाहिक क्लासिफाईड की वर्चुअल रेप्लिका के रूप में समाप्त हुईं।


गेमीफिकेशन ने ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में मचाया तहलका


2012 में, Gamification की शुरुआत करके Tinder ने ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में तहलका मचा दिया। इसने एक मजेदार यूजर अनुभव के साथ थकाऊ और संपूर्ण चयन प्रक्रिया की अदला-बदली की जहां संभावित भागीदारों को एक डेक में कार्ड की तरह प्रदर्शित किया गया।

यूजर्स को बिना किसी भावनात्मक बोझ के सहज रूप से मैच चुनने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वे किसी को पसंद या नापसंद करने के लिए बस दाएं या बाएं स्वाइप कर सकते हैं। स्वाइप करने के इस नए तरीके ने ऑनलाइन डेटिंग को बदल दिया। टिंडर यूजर्स की संख्या पर भी चलता है, गुणवत्ता की तुलना में मात्रा पर अधिक जोर दिया गया है।


भारत में टिंडर की सफलता के बाद दूसरे एप्स भी कर रहे बदलाव


आज डेटिंग ऐप्स पर स्वाइप करना किसी खेल जितना ही मजेदार है। जब आपको कोई मैच मिल जाता है, तो एप जश्न मनाने वाले एनीमेशन और कंफेटी के साथ जश्न मनाता है। हालांकि यह एक लत की तरह भी हो सकता है, क्योंकि आप जितने अधिक लोगों से मिलते हैं, आपकी प्रॉस्पेक्ट उतनी ही उज्जवल होती हैं, और आप एप्लिकेशन में उतने ही गहरे उतरते हैं।

टिंडर की बड़ी सफलता के बाद, कई ऐप्स ने इसका पालन किया और अधिक यूजर्स अनुभव प्रदान करने के लिए समान इंटरफेस को एम्बेड किया। हिंज (Hinge) ने पारंपरिक प्रश्नावली और आधुनिक समय के गेमिफाइड इंटरफेस के मिश्रण की पेशकश की।


फेसबुक ने भी ऑनलाइन डेटिंग सुविधा पर आजमाया हाथ


वर्तमान में, अधिकांश ऐप एक समान इंटरफ़ेस प्रदान करते हैं और संभावित मिलानों को जोड़ने में मदद करने के लिए एल्गोरिदम पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। उनमें से अधिकांश समान भुगतान सुविधाओं की पेशकश करते हैं - विशेष रूप से दृश्यता को अधिक करने के लिए प्रीमियम सब्सक्रिप्शन और इस तरह किसी के विकल्प को बढ़ाते हैं।

इस कोलाहल में सोशल मीडिया के सबसे बड़े दिग्गजों में से एक मेटा (Meta) ने भी अपना हाथ आजमाया। फेसबुक (Facebook) की डिजिटल डेटिंग सहायक कंपनी, जो अपने सोशल मीडिया ऐप के साथ एकीकृत है, हालांकि अपने समकालीनों की तुलना में यूजर्स को इकट्ठा करने में विफल रही।


बने कई वर्चुअल डेटिंग एप

2022 में, मेटावर्स की अवधारणा को गति मिली और वर्चुअल डेटिंग एक संभावना बन गई। कई वर्चुअल डेटिंग एप बन गए। नेवरमेट, एक वर्चुअल डेटिंग ऐप, यूजर्स को सामान्य चित्रों और वीडियो के बिना कनेक्ट करने देता है। इसने यूजर्स को अपने अवतार बनाने और उनके साथ मेल खाने वाली वर्चुअल डेट्स सेट करने की अनुमति दी।

डेटिंग एप में भी हैं कई बुराइयां

Gamification ने भले ही ऑनलाइन डेटिंग को और मज़ेदार बना दिया हो, लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है। विशेषज्ञ ऑनलाइन डेटिंग के मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चेतावनी देते रहे हैं। तथ्य यह है कि किसी का मूल्यांकन उनके बाहरी रूप पर किया जा रहा है, आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है और कुछ लोगों को आपत्तिजनक महसूस करा सकता है। बाहरी सत्यापन चाहने वाले भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्तियों के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है।


लोगों पर बुरा असर भी करते हैं डेटिंग एप

डॉ सारिका बूरा का कहना है कि, "काफी हद तक, ऑनलाइन डेटिंग में सफलता किसी के रूप-रंग पर निर्भर करती है। तो यह कुछ के लिए एक निराशाजनक अनुभव हो सकता है, और शरीर की छवि के मुद्दों को जन्म दे सकता है। अनुभव के प्रकार के आधार पर, यह अक्सर चिंता और अवसाद में बदल जाता है।"

ऑनलाइन धोखाधड़ी की समस्या

डेटिंग ऐप्स पर नकली प्रोफाइल गलत अटैचमेंट का कारण बनते हैं, जिससे भरोसे की समस्या और भावनात्मक संकट हो सकता है। इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी की समस्या भी है। भारत में 2018 में लॉन्च किया गया बंबल एक ऐसी सुविधा प्रदान करता है जहां महिलाएं प्रोफ़ाइल बनाने के लिए पहले नाम का उपयोग कर सकती हैं और कनेक्शन के साथ अपना पूरा नाम तभी शेयर कर सकती हैं जब वे तैयार हों।

कंपनी का कहना है कि यह उन्हें दूसरे प्लेटफॉर्म पर पाए जाने से रोकता है। दिलचस्प बात यह है कि फोटो सत्यापन के लिए एआई (AI) का उपयोग करने वाले पहले एप्लिकेशन में से बंबल (Bumble) भी एक था।


एप को मजबूत और सुरक्षित बनाने की हो रही कोशिश

बंबल (Bumble) के एक प्रवक्ता के अनुसार, "हम उन्हें नफरत, आक्रामकता या डराने-धमकाने से मुक्त अनुभव प्रदान करने का प्रयास करते हैं। Bumble में एक मजबूत ब्लॉक और रिपोर्ट फीचर है। हम अपराधियों को अपने मंच से स्थायी रूप से हटाने में संकोच नहीं करते।"

सब के लिए प्यार

डेटिंग एप्लिकेश को व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रमुख कारकों में से एक उनकी समावेशिता है। डेटिंग ऐप्स में अधिक जेंडर विकल्प शामिल हैं - पुरुष और महिला के पारंपरिक बाइनरी के अलावा, वो यूजर्स को अपने जेंडर की पहचान का वर्णन करने की अनुमति देते हैं, जिससे ट्रांसजेंडर और गैर-बाइनरी यूजर्स के लिए अधिक अवसर खुले हैं।


हर जेंडर को ध्यान में रख कर बनाए जा रहे एप


2000 के दशक की शुरुआत में प्लैनेट रोमियो के लॉन्च होने तक LGBTQ+ समुदायों के सदस्य अभी भी डेटिंग साइटों पर हाशिए पर थे। एक ट्रांसजेंडर प्रभावकार डेज़ी का कहना है कि, "जैसे-जैसे साल बीतते गए, ग्राइंडर जैसे अधिक एप्लिकेशन, यूजर्स को अपनी प्राथमिकताएँ निर्धारित करने देते हैं।

यह निश्चित रूप से अधिक स्वतंत्रता का कारण बना, लेकिन कई सदस्यों को समलैंगिक डेटिंग ऐप्स के अंधेरे पक्ष से भी अवगत कराया गया।" लगभग सभी डेटिंग एप्लिकेशन आज यूजर्स को अपना पसंदीदा जेंडर और सेक्सुअल ओरिएंटेशन निर्धारित करने देते हैं।


जेंडर स्टीरियोटाइप की चुनौती


समावेशिता को बढ़ावा देने के अलावा, डेटिंग ऐप्स युवा चुनौती को पारंपरिक जेंडर स्टीरियोटाइप भी बना रहे हैं। 2022 में, बंबल (Bumble) पर चार में से तीन (74 प्रतिशत) पुरुषों ने कहा कि उन्होंने अपने व्यवहार की पहले से कहीं अधिक बारीकी से जांच की है और उन्हें विषाक्त मर्दानगी की स्पष्ट समझ है।

47 प्रतिशत पुरुषों ने संकेत दिया कि वे रूढ़ियों को सक्रिय रूप से चुनौती दे रहे हैं। 29 प्रतिशत अब खुले तौर पर पुरुष मित्रों के साथ अपनी भावनाओं के बारे में बात करते हैं। 52 प्रतिशत से अधिक पुरुषों ने माना कि डेटिंग और रिश्तों में लैंगिक भूमिकाओं को तोड़ना उनके लिए फायदेमंद रहा है।

भारत में 3 करोड़ से ज्यादा लोग डेटिंग एप का कर रहे इस्तेमाल

- भारत में इस वक्त 3 करोड़ से भी ज्यादा लोग डेटिंग ऐप इस्तेमाल करते हैं।

- साल 2024 तक ये आंकड़ा 5 करोड़ पार करने की संभावना है।

- पिछले 2 सालों में भारत में डेटिंग ऐप का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है।

- कोविड संक्रमण के बाद से कई काम ऑनलाइन होने लगे। इस बीच लॉकडाउन की वजह से लोग अपना अकेलापन मिटाने के लिए डेटिंग ऐप्स का सहारा लेने लगे।

- धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया अपने पार्टनर को तलाशने का सबसे आसान जरिया बनता चला गया।


प्रीमियम ग्राहकों को दी जा रही अधिक सुरक्षा


डेटिंग एप्लिकेशन सांस्कृतिक बाधाओं को पाट सकते हैं, लेकिन वे अभी भी घोटालों की चपेट में हैं। प्रीमियम ग्राहकों के लिए, उनमें से कई बेहतर देखने के विकल्प और कुछ सुरक्षा जाल प्रदान करते हैं। कुछ एप यूजर्स को अन्य सुविधाओं पर स्विच करने से पहले इन-बिल्ट मैसेजिंग एप्लिकेशन को आज़माने की सलाह देते हैं, जिसके लिए उन्हें अपनी संपर्क जानकारी या स्थान विवरण शेयर करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, कोई भी एप ऑनलाइन 100 फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है। 

डेटिंग एप्लिकेशन की वजह से लोग हो रहे हनीट्रैप का शिकार 

फरवरी 2022 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सीईओ सहित 50 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी डेटिंग एप्लिकेशन ग्रिंडर पर हनीट्रैप के शिकार हो गए। ऐसी कई घटनाएँ भी हुई हैं जहाँ यूजर्स को ठगा गया, धोखा दिया गया, शारीरिक हमला किया गया.

या यहाँ तक कि किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, जिससे वे डेटिंग एप्लिकेशन के माध्यम से संपर्क में आए। डेटिंग एप्लिकेशन भी कई लोगों को घोटालों का शिकार बनाते हैं। आप किसके साथ जुड़ते हैं, इसके बारे में सावधानी बरतना और समझदार होना महत्वपूर्ण है।


डेटिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर अपराधी लोगों को बना रहे निशाना


ऐसे अपराधों के अपराधियों ने डेटिंग एप्लिकेशन के माध्यम से पीड़ितों को निशाना बनाया। शुरुआती आकस्मिक आदान-प्रदान के बाद, पीड़ित झूठे वादों का उपयोग करके फंस जाते हैं और बाद में उन्हें भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है।

दुराचारी आमतौर पर पीड़ित की अंतरंग तस्वीरों का उपयोग करके धमकी देते हैं और ब्लैकमेल करते हैं। कामुकता की खुली अभिव्यक्ति से जुड़े कलंक को देखते हुए, उपयोगकर्ता इस तरह के दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने में संकोच करते हैं।

पुलिस ने ऑनलाइन डेटिंग को लेकर कही ये बात

डीसीपी, आईएफएसओ स्पेशल सेल - दिल्ली पुलिस प्रशांत गौतम का कहना है कि, "ऑनलाइन डेटिंग एप्लिकेशन के दो प्रकार के यूजर्स हैं। कुछ इसका उपयोग आकस्मिक संबंधों के लिए करते हैं, जबकि कुछ इसका उपयोग गंभीर संबंधों को खोजने के लिए करते हैं। इसमें दोनों तरह से जोखिम शामिल हैं और हम ऐसे कई मामलों में डेटिंग ऐप्स के साथ-साथ वैवाहिक वेबसाइटों से भी आते हैं।"


एप्लिकेशन में दी जा रही घटनाओं से बचने की सुविधा


DCP गौतम ने खुलासा किया कि बड़ी संख्या में डेटिंग ऐप्स के उपयोगकर्ता जो इस तरह के जाल में फंसते हैं, वे इन मामलों की शिकायत पुलिस को करने से हिचकिचाते हैं। उन्होंने कहा, "हम और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे धोखाधड़ी और दुर्व्यवहार की घटनाओं की ऑनलाइन रिपोर्ट करें। जितने अधिक मामले रिपोर्ट किए जाते हैं, उतना ही हम इस तरह के पैटर्न का आकलन कर सकते हैं और लोगों की मदद कर सकते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।"

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ऑनलाइन डेटिंग एप का इस्तेमाल करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान:-

- ऑनलाइन डेटिंग एप के अपने प्रोफाइल पर पर आपनी निजी जानकारी कम से कम रखें।

- इससे यह होगा कि आप तक हर कोई आसानी से पहुंच नहीं बना पाएगा।

- अपना फोन नंबर, ईमेल आईडी, बैंक खाते का डिटेल, आवासीय पता, क्रेडिट कार्ड डिटेल या अन्य जानकारी प्रोफाइल पर सभी के साथ न शेयर करें।

- अश्लील तस्वीरें शेयर करने से बचें।

- डेटिंग साइट पर किसी के द्वारा अनुरोध किए जाने पर कभी भी पैसे ट्रांसफर न करें।

- पैसों का लेनदेन करने वाले लोगों के नकली खाते होने की संभावना अधिक होती है।

- अगर आप उनसे मिलना चाहते हैं तो किसी पब्लिक प्लेस पर मिलें, जहां आसपास बहुत सारे लोग हों।

- अगर हो सके तो अपने किसी फ्रेंड को अपने साथ रखें।

- जब आप किसी अनजान व्यक्ति से मिलते हैं तो आपको तुरंत उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। यह बात ऑनलाइन डेटिंग पर भी लागू होती है।


धोखाधड़ी से बचाव के लिए बनाए गए कई टूल


यूजर्स द्वारा सामना की जाने वाली अनहोनी घटनाओं की बाढ़ को ध्यान में रखते हुए, अधिक से अधिक ऐप उचित उपकरण और सुरक्षा सुविधाएँ प्रदान करने की दिशा में काम कर रहे हैं। बम्बल एक ब्लॉक + रिपोर्ट टूल प्रदान करता है जिससे यूजर्स को किसी भी व्यवहार की रिपोर्ट करना आसान हो जाता है जिससे उन्हें असहज महसूस होता है। इसके अलावा, फोटो सत्यापन, इन-ऐप ऑडियो और वीडियो कॉल जैसी विशेषताएं उन उदाहरणों को कम करती हैं जहां यूजर्स को अपने व्यक्तिगत विवरण प्रकट करने पड़ते हैं। 

गांव-शहरों में भी बढ़ा उपयोग

महिलाओं सहित टियर 2 और टियर 3 शहरों के भारतीय, डेटिंग विकल्पों को निर्धारित करने के लिए तेजी से डेटिंग ऐप्स का उपयोग कर रहे हैं। बम्बल द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में 72 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि ऑनलाइन किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करना संभव है जिससे वे कभी मिले ही नहीं हैं। करीब 45 फीसदी ने महसूस किया कि ऑनलाइन डेटिंग सामान्य है। कम से कम 81 प्रतिशत भारतीय 2023 में डेटिंग को लेकर आशान्वित महसूस करते हैं।


इस वजह से डेटिंग एप्लिकेशन हो रहे लोकप्रिय


अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में क्लिनिकल साइकोलॉजी की पूर्व प्रोफेसर डॉ. मंजू मेहता का कहना है, "आज, अधिकांश रिश्तों में अपेक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता और समझौता करने की अनिच्छा प्रचलित है। इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप तेजी से आम होते जा रहे हैं और इसके कारण डेटिंग एप्लिकेशन अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं।"

आइज़ल के संस्थापक ने कही ये बात

एआई-समर्थित टेक्नोलॉजी का आगमन ऑनलाइन डेटिंग कंपनियों को पर्याप्त आशा दे रहा है। एबल जोसेफ ने कहा, "कंपनियां एआई के इस्तेमाल से यूजर वेरिफिकेशन को ऑप्टिमाइज़ कर सकती हैं। इसका उपयोग चैट के पैटर्न और उपयोगकर्ताओं की प्राथमिकताओं को समझने के लिए किया जा सकता है ताकि खराब अभिनेताओं को जल्दी से दूर किया जा सके।"


यूजर्स बढ़ने के साथ ज्यादा रेवेन्यू हो रहा जेनरेट


ज्यादा से ज्यादा लोग डेटिंग ऐप्स और प्लेटफॉर्म की मदद से पार्टनर की तलाश कर रहे हैं। 2023 के अंत तक दुनिया भर में ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स के 441 मिलियन एक्टिव यूजर्स होने उम्मीद है। डेटिंग सेवाओं के माध्यम से वैश्विक स्तर पर लगभग 8.7 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट होने के अनुमान है।

भारत में 2023 के अंत तक डेटिंग सर्विस सेगमेंट में रेवेन्यू 397.90 मिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं साल 2027 तक यूजर्स की संख्या 115.3 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

सरकार की चेतावनी! पासपोर्ट बनाने वाली इन 6 फर्जी वेबसाइट से रहे दूर, वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में

Passport update: पिछले कुछ वर्षों में डिजिटलाइजेशन देश में तेजी से बढ़ रहा है, जहां के तरफ इससे लोगों को फायदा हो रहा है और काम तेजी से होता है और समय की बचत होती है। लेकिन उतनी तेजी से ही ऑनलाइन स्कैम भी हो रहे हैं, ठगी और धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। फेक कॉल करने वाले काफी तेजी से बढ़ रही है। हैकर्स नकली वेबसाइट्स बनाकर लोगों को चूना लगा रहे है और लोगों के बैंक अकाउंट खाली कर रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें पासपोर्ट बनाने वाली वेबसाइट भी शामिल हैं। अब ऐसे में लोगों की सेफ्टी के लिए भारत सरकार ने 6 फेक/फर्जी पासपोर्ट वेबसाइट को लेकर चेतावनी जारी की है। सरकार का दावा है कि इन 6 वेबसाइट्स के जरिए धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। अगर आप भी पासपोर्ट बनवाने जा रहे हैं तो इन फेक वेबसाइट के बारे में जान लीजिये।


पासपोर्ट सेवा (Passport seva)

आपने पासपोर्ट सेवा (www.passport-seva.in) वेबसाइट का नाम जरूर सुना होगा, यह एक फेक वेबसाइट है। सरकार का दावा है कि हैकर्स अब भी इस साइट का इस्तेमाल कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे में इस वेबसाइट पर बिलकुल भी न जायें..


अप्लाई पासपोर्ट (Apply Passport)

सरकार ने अप्लाई पासपोर्ट (www.applypassport.org) नाम की इस वेबसाइट के बारे में यह बताया है कि इस वेबसाइट से दूर रहे और इसका उपयोग न करें और अपनी निजी जानकारी इसमें दर्ज न करें। वरना यह नुकसान पहुंचा सकती है।

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इंडिया पासपोर्ट (india passport)

सरकार ने www.indiapassport.org वेबसाइट से भी से भी दूरे रहने को कहा है। यह वेबसाइट और इसका इंटरफेस बिल्कुल असली पासपोर्ट साइट के जैसा है। इसमें यूजर्स को निजी डिटेल दर्ज करने के लिए फॉर्म दिया जाता है, जिससे जानकारी हैकर्स तक पहुंच जाती।


ऑन-लाइन पासपोर्ट (online passport)

फेक वेबसाइट की लिट्स में www.online-passportindia.com का भी नाम जुड़ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स ने इस साइट में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन अप्लाई से लेकर वोटर आईडी कार्ड बनाने तक की सुविधा दी थी।


पासपोर्ट इंडिया पोर्टल (passport india portal)

इस www.passportindiaportal.in फेक वेबसाइट से भी सरकार ने ने दूर रहने को कहा है । इसमें पासपोर्ट के लिए आवेदन करने का विकल्प मिलता था। इसे खासतौर पर ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटना को अंजाम देने के लिए तैयार किया गया है।


पासपोर्ट इंडिया (passport india)

अगर आपने www.passport-india.in वेबसाइट का नाम सुना है और इसे यूज़ भी किया होगा, लेकिन सरकार के मुताबिक यह एक फेक वेबसाइट है जोकि आपके निजी डेटा को चुरा सकती है और आपको काफी नुकसान कर सकती है।

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अब SmartWatch को फोन से जोड़े बिना Google Maps का करें उपयोग, जानिए कैसे

यदि आपके पास एलटीई-सक्षम घड़ी है, या आपकी घड़ी वाईफाई के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ी है, तो अब आप अपनी कलाई पर मैप का आनंद ले सकते हैं। यह विशेष रूप से तब मददगार होता है जब आप दौड़ने या सवारी के लिए बाहर होते हैं और अपना फोन पीछे छोड़ देते हैं, लेकिन एक चक्कर लगाना चाहते हैं या आपको घर का रास्ता खोजने में मदद की जरूरत होती है।


हालांकि, सुविधा का उपयोग करने से पहले, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:

1. नेविगेशन के लिए यूजर्स को अपने फोन और स्मार्टवॉच पर लोकेशन ट्रैकिंग की अनुमति देनी होगी।

2. मैप्स से पावर-सेविंग मोड में हस्तक्षेप हो सकता है।

3. कुछ ध्वनि क्रियाएं सभी भाषाओं और देशों या क्षेत्रों में सक्षम नहीं हैं।

4. वियर डिवाइस पर, मैप उस दूरी की इकाई का उपयोग करता है जो उसके साथ जुड़े फोन पर है।

5. वर्तमान में, मैप्स साइकिल चलाने, ड्राइविंग और चलने के लिए नेविगेशन का समर्थन करते हैं।


फोन के बिना वॉच का उपयोग कैसे करें?

मिररिंग एनेबल करने और बाद वाले डिवाइस पर नेविगेशन शुरू करने के बाद स्मार्टवॉच हैंडसेट से नेविगेशन ले लेगी। एक बार हो जाने के बाद, आप हैंडसेट को पीछे छोड़ सकते हैं। इसके बाद:

1. वॉयस कमांड या कीबोर्ड टूल का उपयोग करके घड़ी और इनपुट गंतव्य से मानचित्र खोलें।

2. परिवहन के साधन का चयन करें और गंतव्य पर आगमन का अनुमानित समय (ईटीए) देखें।

3. मंजिल तक पहुँचने के लिए यात्रा शुरू करें।


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राजस्थान में 5जी हुआ लॉन्च, जानिए कैसे ले सकेंगे मोबाइल पर सुविधा का फायदा

कैसे ले सकेंगे इस सुविधा का लाभ
5जी सुविधा का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले मोबाइल का 5जी होना जरूरी है। 5जी को एक्सेस करने के लिए माय जियो एप डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आपको अपने जियो नंबर से लॉग इन करना होगा। मोबाइल सेटिंग के नेटवर्क सलेक्शन में 5जी नेटवर्क को ऑन करने के बाद आप 5जी सेवा का लुत्फ ले सकते हैं।

कंपनी ने यह किया दावा
5G 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है जो मोबाइल दूरसंचार प्रौद्योगिकी में नवीनतम है। दावा है कि जियो 5जी का सबसे उन्नत संस्करण लाया है। जिसे स्टैंड-अलोन 5जी कहा जाता है, जिसकी जियो के 4जी नेटवर्क पर शून्य निर्भरता है। स्टैंड-अलोन 5G के साथ, जियो फास्ट कनेक्टिविटी, बड़े पैमाने पर मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन, 5G वॉयस, एज कंप्यूटिंग और नेटवर्क स्लाइसिंग और मेटावर्स जैसी नई और शक्तिशाली सेवाएं प्रदान कर सकता है। कंपनी का कहना है कि दिसंबर 2023 तक पूरे देश में 5जी सेवाओं का विस्तार कर दिया जाएगा।

75 शहरों में हुआ उपलब्ध
राजस्थान के तीन शहरों में लॉन्च के साथ कंपनी का 5जी नेटवर्क 75 शहरों में उपलब्ध हो गया है। गौरतलब है कि फिलहाल जियो का ट्रू 5जी नेटवर्क जियो के 5जी ग्राहकों के लिए बिना किसी अतिरिक्त कीमत के उपलब्ध है। हालांकि, उन्हें सेवा का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए 239 रुपये के न्यूनतम मूल्य के साथ अपने फोन को रिचार्ज करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, कंपनी के 4जी ग्राहकों को 5G सिम कार्ड में अपग्रेड करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि कंपनी के 4जी सिम कार्ड 5जी-सक्षम हैं।

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आधार कार्ड की खराब फोटो से हैं परेशान? आसान स्टेप्स में करें चेंज

आधार कार्ड (Aadhaar Card) आज के समय में ही नहीं, पिछले कुछ सालों से ही भारत (India) में सबसे ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स में से एक है। कई ज़रूरी कामों के लिए आधार कार्ड की ज़रूरत पड़ती है, चाहे सरकारी काम हो या प्राइवेट। देश और राज्य की कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी आधार कार्ड ज़रूरी होता है। वहीँ अलग-अलग जगह पहचान के लिए भी आधार कार्ड काम में आने वाला डॉक्यूमेंट होता है। पर सालों पहले बने आधार कार्डों के बारे में एक बात कई लोगों को आज भी पसंद नहीं है।


आधार कार्ड की कौनसी है वो बात जो लोगों को नहीं है पसंद?

सालों पहले बने आधार कार्डों की जो बात आज भी कई लोगों को पसंद नहीं आती है वो है इसमें लगी उनकी फोटो। पहले बनने वाले आधार कार्डों में इस्तेमाल होने वाली फोटो की क्वालिटी काफी खराब आती थी, जिससे लोग उस समय ही नहीं, आज भी परेशान होते हैं।


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परेशानी का समाधान

आधार कार्ड में लगी अपनी फोटो की परेशानी का भी एक समाधान है। आप आसानी से आधार कार्ड में अपनी फोटो को चेंज कर सकते हैं। इस प्रोसेस को आसान स्टेप्स में पूरा किया जा सकता है। आइए जानते है आधार कार्ड की फोटो को चेंज करने की प्रोसेस और वो भी आसान स्टेप्स में।

1. सबसे पहले UIDAI की वेबसाइट पर जाए।
2. अब आधार कार्ड के सेक्शन में जाकर आधार एनरोलमेंट फॉर्म अपडेट ऑप्शन पर क्लिक करें और फॉर्म को डाउनलोड करें।
3. इसके बाद इस फॉर्म को भर कर अपनी एक फोटो के साथ परमानेंट एनरोलमेंट सेंटर में जमा कराए और इसके साथ ही अपनी बायोमैट्रिक डिटेल्स भी एंटर करें।
4. इस प्रोसेस के बाद इसके लिए 100 रुपये फीस जमा कराए, जिसके बाद आपको एक्नॉलेजमेंट स्लिप मिल जाएगी। इस स्लिप में एक URL दिया जाता है।
5. दिए गए URL का इस्तेमाल करके UIDAI की वेबसाइट पर अपडेट देखें जा सकते हैं और इसके बाद आपके आधार कार्ड की फोटो चेंज हो जाती है।

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